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लेखनी प्रतियोगिता -18-Oct-2022


बातों में जनरल नॉलेज
और आंखों में अंगार है
लगता है मेरे ही जैसे
दोस्त तू भी बेरोजगार है।

दिल तो वैसे ही टूटा था
दस दिन से खिचड़ी खा के
जाकर बाथरूम आता हूँ
केवल मन को बहला के।

पढ़ने में थोड़ा कच्चा हूँ
पर अच्छी कद काठी है
जिसको कभी पढ़ाया टयूशन
अब मेरा सहपाठी है।

लंबे मेरे सपने हैं
इसलिए देर तक सोता हूँ
या तो टी वी या मोबाइल
या सपनों में होता हूँ।

पढ़ना मुश्किल लगता था
तो कक्षाएं गिनती क्या करते
बत्तीस बरस उमर हो आयी
बी ए पास करते करते।

मेहनत होती नहीं है हमसे
फिर भी नोट कमाना है
इसीलिए कोई बैंक देखकर
बढ़िया लोन उठाना है।

एक बार मिल जाये मौका
ऐसा रंग दिखाऊंगा
या फिर नेता या डाकू
या बाबा बन जाऊंगा ।

देनिक प्रतियोगिता हेतु।




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6 Comments

Neeraj Agarwal

19-Oct-2022 04:27 PM

आपकी रचना अच्छी है अगर दैनिक और उम्र सही करे ले धन्यवाद

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Raziya bano

19-Oct-2022 09:58 AM

Nice

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Wahhh wahhh

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